सरकार को गुमराह कर 50 से ज्यादा सीटें बेची थीं चिरायु मेडिकल कॉलेज ने

Image result for चिरायु मेडिकल कॉलेज bhopal photoपूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ भोपाल  01 Feb 2018-चिरायु मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) को गुमराह कर 2012 की एमबीबीएस की 50 से ज्यादा सीटें मनमाने में रेट पर अयोग्य छात्रों को बेच दी थी। कॉलेज की एडमिशन कमेटी ने डीएमई को जानकारी दी थी कि सरकारी कोटे की 63 सीटों में सिर्फ 9 सीटें ही खाली हैं, जबकि 50 से ज्यादा सीटें खाली थीं। इन सीटों को 40 से 50 लाख रुपए में बेच दिया गया।
इस गोरखधंधे में दोहरी कमाई की जा रही थी। सबसे पहले तो स्कोरर को पीएमटी में बैठाकर कुछ छात्रों को नकल कराई जाती थी। इन्हें इंजन कहा जाता था और नकल करने वाले को बोगी। स्कोरर के पीएमटी में सलेक्ट होने पर उसे कॉलेज में दाखिला लेने के लिए कहा जाता था। इन छात्रों को कॉलेज की सरकारी कोटे की 63 सीटों में दाखिला दिया जाता था। इस तरह यह सीटें भरी हुई दिखाई जाती थीं। स्कोरर की कॉलेज प्रबंधन से पहले से साठगांठ होती थी, लिहाजा वे कॉलेज प्रबंधन ने करीब डेढ़ लाख रुपए लेकर सीट छोड़ देते थे। इन्हीं सीटों को कॉलेज बेच देता था।
सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार एक स्कोरर (इंजन) ने रैकेटियर संजीव शिल्पकार के जरिए चिरायु मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था। वह पहले से ही एक मेडिकल कॉलेज का छात्र था, लिहाजा उसने रैकेटियर से डेढ़ लाख रुपए लेकर सीट छोड़ दी थी। इस तरह से 12 स्कोरर ने सीट छोड़ी थी।
तीन दिन में दिया दाखिला
चिरायु मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सरकारी कोटे की 63 सीटें थीं। 25 सितंबर 2012 को हुई काउंसलिंग कमेटी ने कॉलेज प्रबंधन से सीटों की जानकारी मांगी तो बताया गया कि सिर्फ नौ सीटें खाली हैं, जबकि उस दौरान इससे काफी ज्यादा सीटें खाली थीं। 28 से 30 नवंबर के बीच 53 अयोग्य छात्रों को दाखिला दिया गया।
ऐसी होती थी गड़बड़ी
मेडिकल कॉलेजों में काउंसलिंग की आखिरी तारीख 30 सितंबर थी। इसके बाद निजी कॉलेजों को दाखिल छात्रों की नाम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को भेजना पड़ता था। इस दौरान निजी कॉलेज पुरानी तारीख के ड्राफ्ट लेकर सीट बेच देते थे।
डीएमई की तरफ से यहां हुई गड़बड़ी
सरकारी सीटों निजी कॉलेजों की ओर से किए मनमर्जी दाखिलों पर चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) पकड़ सकता था। चिरायु समेत सभी कॉलेजों द्वारा किए गए गलत दाखिलों की सूची डीएमई की ओर से फारवर्ड कर यूनिवर्सिटी को भेजी गई, जिससे ये छात्र परीक्षा में बैठ सकें।
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कौन हैं अजय गोयनका
एमबीबीएस व पीजी करने के बाद डॉ. अजय गोयनका ने मालीपुरा में एक अस्पताल खोला। इसके बाद चिरायु मेडिकल कॉलेज शुरू किया। इस समय ग्रुप की नौ तरह की कंपनियां हैं।
गोयनका पर चिरायु मेडिकल कॉलेज का चेयरमैन रहते हुए फर्जी तरीके से पीएमटी 2012 में अयोग्य छात्रों को सीटें बेचने का आरोप है। सीबीआई की ओर से पिछले साल 23 नवंबर को इस मामले में आरोप पत्र पेश किए जाने के बाद से गोयनका गिरफ्तारी से बच रहे थे।
डॉ. अजय गोयनका ने बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत के सामने सरेंडर कर दिया। 
विशेष अदालत ने दोनों आरोपियों को 24 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।