जब स्कूल एक है,योग्यता एक है, बच्चे एक है, काम भी एक है तो वेतन में असमानता क्यों: SC

पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ दिल्ली 30jan 2018 -सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में पंचायत के जरिए चुने गए साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को नियमित अध्‍यापकों के बराबर वेतन देने के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।  जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने बिहार सरकार से 15 मार्च तक जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।
When the school is one the merit is one the child is one the work is also one why the inequality in salary SCबिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा कि शिक्षकों को लेकर नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी एक पक्षकार बनाने का फैसला किया।
स्टिस एके गोयल और यूयू ललित की पीठ ने कहा कि ये शिक्षक राज्य में कुल शिक्षकों का 60%है। कोर्ट ने कहा कि असमानता को दूर कर समानता लानी चाहिए। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब स्कूल एक है, योग्यता एक है, बच्चे एक है, काम भी एक है तो वेतन में असमानता क्यों। राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि इससे राज्य पर 28,000 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पटना हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया है और इस मामले में टीम गठित कर पूरी रिपोर्ट देने की बात कही है। पीठ ने कहा की यह अब सामान्य हो गया है पहले काम वेतन पर भर्ती कर लो और फिर उन्हें निकालने की बात करो। यह नहीं होगा आप को इन्हें वेतन देना ही होगा। बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने 31अक्टूबर 2017 को दिए आदेश में इन शिक्षकों को नियमितों के बराबर वेतन देने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि बिहार के नियोजित शिक्षकों के संगठन ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर कर समान काम और समान वेतन की मांग की थी। पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को बिहार सरकार को निर्देश दिए थे कि वह नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान सुविधा प्रदान करे। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।