
पहली बार आबकारी से जुड़े अपराध बार-बार करने वालों को जिला बदर किया जा सकेगा। इसके लिए अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। सरकार अपनी नई दुकान नहीं खोलने की नीति पर कायम है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में 2018-19 की आबकारी नीति को मंजूरी दी गई।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि आबकारी नीति में मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप अहाते बंद करने का फैसला किया गया। विदेशी शराब के 149 अहाते बंद होंगे और देसी शराब की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी। कन्या स्कूल, कॉलेज, कन्या छात्रावास, वैध धार्मिक स्थल के 50 मीटर के दायरे में अब कोई शराब दुकान नहीं होगी। जिला समिति जिले में इसका निर्धारण करेंगी। पिछले साल नर्मदा नदी के किनारे 66 दुकानें बंद की गई थीं। ड्राय जोन पॉलिसी पहली बार लागू होगी।
इन स्थानों पर मदिरापान पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। शराब पीकर अपराध करने के मामलों में भारतीय दंड विधान संहिता के तहत सजा के प्रावधानों को कड़ा करने गृह मंत्रालय को सिफारिश की जाएगी। अवैध शराब बिक्री को रोकने के लिए जुर्माना राशि भी अन्य राज्यों की तरह बढ़ाई जाएगी। आबकारी अपराध के आदतन अपराधियों का छह माह के लिए निष्कासन (जिला बदर) का अधिकार अधिनियम के तहत दिया जाएगा।
लाइसेंस नवीनीकरण के लिए 15 फीसदी ज्यादा चुकानी होगी राशि
आबकारी नीति के तहत शराब दुकानों के लाइसेंस नवीनीकरण के लिए दुकानदारों को 15 फीसदी ज्यादा राशि चुकानी होगी। जो दुकानें नवीनीकरण में नहीं जाएंगी, उनके लिए ऑनलाइन ई-टेंडर होंगे। बार लाइसेंस सहित अन्य लाइसेंस पर लगने वाला शुल्क 20 प्रतिशत बढ़ेगा।
पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रिसोर्ट बार लाइसेंस को न्यूनतम गारंटी से मुक्त किया जाएगा। अवैध शराब को रोकने के लिए बोतलों पर विशेष होलोग्राम लगाए जाते हैं। शराब की वैधता पता करने के लिए 562634500 टोल फ्री नंबर पर बोतल की फोटो खींचकर भेजने पर उपभोक्ता को पता लगा जाएगा कि शराब वैध है या नहीं।
ज्यादा शराबखोरी वाले स्थान होंगे चिन्हित
सरकार ने तय किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां ज्यादा शराब की खपत होती है, उनकी पहचान की जाएगी। इसके लिए आबकारी और पुलिस महकमा मिलकर कार्रवाई करेगा। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर समिति बनाई जाएगी।
निकाय लगाएंगे मनोरंजन कर
प्रदेश में मनोरंजन कर नगरीय निकाय वसूलेंगे। इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग अध्यादेश लाएगा। कैबिनेट में इसे मंजूरी दी गई। बैठक में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद संविधान संशोधन के जरिए नगरीय निकायों को मनोरंजन कर वसूली का अधिकार दिया गया है।
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