भारत की अधिक सक्रिय भूमिका चाहते हैं आसियान नेता

asean leader 26 01 2018पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ दिल्ली 27jan 2018 - आसियान के सभी दस देशों के नेता सामरिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत को अधिक सक्रिय भूमिका में देखना चाहते हैं। आसियान नेताओं ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत के बढ़ते कद को स्वीकार किया है। शुक्रवार को यहां एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान जब पूछा गया कि क्या शक्तिशाली आसियान समूह के नेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का समर्थन किया है, तब विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति सरन ने उत्तर दिया, "हां।" उन्होंने कहा, "सभी नेताओं ने भारत की अधिक भागीदारी (भारत-प्रशांत क्षेत्र में) के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की है।" भारत-प्रशांत वह क्षेत्र है, जहां चीन अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है।
चीन और दक्षिण चीन सागर विवाद पर आसियान के कई देशों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर समूह के नेताओं का भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका की इच्छा जताना महत्वपूर्ण है। भारत-प्रशांत मोटे तौर पर हिद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्रों से संबंधित है। इसमें विवादित दक्षिण चीन सागर भी शामिल है, जहां वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस और ब्रुनेई, लगभग पूरे जलमार्ग पर चीन के दावे पर सवाल उठाते हैं।
भारत, आसियान संबंध प्रतिस्पर्धाओं और दावों से मुक्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और आसियान के संबंधों को प्रतिस्पर्धा और दावों से मुक्त मानते हैं। उनका कहना है कि क्षेत्रफल में कम या ज्यादा होने का विचार किए बिना हम सभी राष्ट्रों की समान स्वायत्तता में विश्वास रखते हैं। साथ ही वाणिज्य व व्यवसाय के लिए निर्बाध और मुक्त मार्ग का समर्थन करते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शुक्रवार को ट्वीट कर बताया, प्रधानमंत्री के इन विचारों को 69वें गणतंत्र दिवस तथा आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के ऐतिहासिक अवसर पर दस आसियान देशों की दस भाषाओं में छपे 27 समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया है।
स्ट्रेट्स टाइम्स में प्रकाशित लेख "शेयर्ड वैल्यूज, कॉमन डेस्टनी" में मोदी ने आसियान देशों, थाइलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई के साथ भारत के संबंधों के महत्व पर प्रकाश डाला है। पीएम के अनुसार, "भारत और आसियान देशों के रिश्ते प्रतिस्पर्धा और दावों से मुक्त हैं। भविष्य के लिए हमारा एक समान दृष्टिकोण है।"
मोदी ने कहा, आसियान-भारत पार्टनरशिप के 25 साल होने के अवसर पर आयोजित शिखर सम्मेलन में आसियान नेताओं की मेजबानी करने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री के अनुसार, भारत-आसियान देशों के संबंध भले ही सिर्फ 25 साल पुराने हों, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंध दो हजार वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। शांति और दोस्ती, धर्म और संस्कृति, कला और वाणिज्य, भाषा और साहित्य में आगे बढ़ने वाले स्थायी संबंध अब शानदार विविधता वाले भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के हर पहलू में मौजूद हैं। यह हमारे लोगों के बीच सुख-साधन और मेलजोल का विशिष्ट आवरण प्रदान करता है।