सेना और अर्द्धसैनिक बल के शहीद आश्रितों को नौकरी देगी योगी सरकार

yogi adityanath news 150118 30 01 2018पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ लखनऊ 31jan 2018 -सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सेना और अर्द्धसैनिक बल के जवानों और उनके आश्रितों के हक में योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। उत्तर प्रदेश का कोई जवान अगर सीमा पर लड़ते हुए या आतंकियों से मुकाबला करते हुए, गोलाबारी, विस्फोट, आपदा (ड्यूटी के दौरान) में शहीद होता है तो राज्य सरकार शहीद सैनिक के किसी एक आश्रित को उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी देगी।
जानकारी के अनुसार यह व्यवस्था एक अप्रैल, 2017 से लागू मानी जाएगी। लोकसेवा के अंतर्गत आने वाले पदों पर नौकरी नहीं मिलेगी। लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में इसके समेत नौ प्रस्तावों को मंजूरी मिल गई।
सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इसका लाभ थल, जल और वायु सेना में कार्यरत सैनिकों व अधिकारियों के साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), असम राइफल्स और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स जैसे अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के आश्रितों को भी मिलेगा।
सरकार ने इस फैसले से शहीदों के बलिदान को नमन करते हुए अपनी आस्था प्रकट की है। इस फैसले में पूरी नियमावली स्पष्ट कर दी गई है।
लापता जवान के आश्रित भी हकदार-
इसका लाभ तीनों सेना समेत अर्द्धसैनिक बल के उस लापता जवान या अफसर के आश्रित को भी मिलेगा जिन्हें सक्षम न्यायालय ने मृत घोषित कर दिया है।
आश्रितों की बनाई श्रेणी-
आवेदन के समय आश्रित की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। सरकार ने आश्रितों की उम्र और श्रेणी तय कर दी है। सैन्यकर्मी के विवाहित होने की स्थिति में पत्नी/पति, पुत्र, विधवा पुत्रवधू, तीन अविवाहित पुत्रियां, दत्तक पुत्रियां, माता-पिता, आश्रित, पौत्र, पौत्रियां आश्रित श्रेणी में मानी जाएंगी।
सैन्यकर्मी के अविवाहित होने की स्थिति में माता-पिता और भाई-बहन सबसे प्रमुख होंगे। पहले आवेदन देने वाले आश्रित को ही वरीयता मिलेगी। फिर उसके द्वारा अपना हक दूसरे आश्रित को हस्तांतरित करने पर ही विचार होगा।
रोस्टर के जरिये विभाग देंगे नौकरी-
नियुक्ति के लिए सैनिक कल्याण विभाग और गृह विभाग को नोडल विभाग के रूप में तय किया गया है। शहीद के परिवार को आवेदन पत्र इन विभागों को देना होगा। इसमें संबंधित आवेदक का नाम, परिवार का विवरण, आयु, शैक्षिक योग्यता का ब्योरा रहेगा। ये दोनों विभाग आश्रितों का आवेदन सेवा के लिये रोस्टर प्रणाली के जरिये विभागों को आवंटित करेंगे। विभागों की रोस्टर प्रणाली भी निर्धारित की जाएगी।
सूबे की जनता का दिल जीतने की पहल-
राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाली भाजपा सरकार ने अपने इस फैसले से सूबे की जनता का दिल जीतने की पहल की है। अक्सर किसी शहीद के शव आने पर विलाप करते परिवारीजन और जुटे आसपास के लोग घर-गृहस्थी चलाने को नौकरी की ही मांग पहले उठाते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें शहीदों के परिवारीजन की नियमानुसार मदद करती हैं, पर अभी तक उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी का प्रावधान नहीं है।