रिटायर हो चुके प्रोफेसर अब कक्षा में बच्‍चों को पढ़ाते नजर आएंगे

पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ भोपाल 28jan 2018 -मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी दूर करने के लिए नया फॉर्मूला लागू किया जा रहा है। रिटायर प्रोफेसर अब फिर क्लास में नजर आएंगे। सभी मेडिकल कॉलेजों में रिटायर प्रोफेसरों को संविदा नियुक्ति देकर पढ़ाने का मौका दिया जाएगा। उन्हें वही तनख्वाह मिलेगी जो रिटायरमेंट के वक्त मिलती थी। इसका कोई असर पेंशन पर नहीं पड़ेगा। शनिवार को हुई मेडिकल कॉलेज की कार्यपरिषद की बैठक में नए सेवा-नियमों को अनुमोदित कर दिया गया।
mahatma gandhi medical collage 2018128 8243 28 01 2018एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. शरद थोरा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि रिटायर प्रोफेसरों की नियुक्ति स्थानीय स्तर पर होगी। इसके लिए चार सदस्यीय समिति बनाई जाएगी। इसमें कमिश्नर, मेडिकल कॉलेज के डीन और दो सीनियर प्रोफेसर शामिल होंगे। इन प्रोफेसरों को नियुक्ति पाने मेडिकल कॉलेज में आवेदन करना होगा। वे प्रोफेसर भी आवेदन कर सकते हैं जो निकट भविष्य में रिटायर होने वाले हैं। विभिन्ना विभागों में रिक्त पदों की जानकारी जल्दी ही मेडिकल कॉलेज की वेबसाइट पर भी डाली जा रही है। वे सभी रिटायर प्रोफेसर आवेदन कर सकते हैं जो 65 से 70 वर्ष आयुवर्ग के हैं।
नहीं पड़ेगा पेंशन पर असर
डॉ. थोरा ने बताया कि संविदा नियुक्ति पाने वाले प्रोफेसरों को वहीं तनख्वाह मिलेगी जो उन्हें रिटायरमेंट के वक्त मिलती थी। इसका कोई असर पेंशन पर नहीं पड़ेगा। अब तक शासकीय मेडिकल कॉलेजों में संविदा नियुक्ति का प्रावधान नहीं था। अब वे शासकीय मेडिकल कॉलेजों में ही सेवाएं दे सकेंगे। इससे मेडिकल कॉलेजों को बड़ी राहत मिलेगी। यह नियम प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों में लागू होंगे। इनमें 7 नए मेडिकल कॉलेज भी शामिल हैं। संविदा नियुक्ति क्लिनिकल और नॉन क्लिनिकल दोनों में रहेगी।
एमजीएम में खाली हैं 126 पद
प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में टिचिंग स्टाफ की कमी है। अकेले एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 126 पद खाली हैं। मेडिकल कॉलेज से प्रोफेसर 65 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं, लेकिन एमसीआई के नियमों के मुताबिक 70 वर्ष तक प्रोफेसर पढ़ा सकते हैं।