पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ भोपाल 01 Feb 2018-दिग्विजय सिंह का नाम सामने आते ही एक ऐसे राजनेता की तस्वीर मस्तिष्क में उभरती है जो चौबीसों घंटे राजनीति में लीन और विवादित बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहता है।
ऐसा राजनेता यदि राजनीतिक मसलों से किनारा कर, नर्मदा नदी के किनारे किनारे कदमताल करते हुए साढ़े तीन हजार किलोमीटर की दूरी नापने निकल पड़ा हो तो वह सूबे की सियासत को एक नया रंग देने का माद्दा तो रखता ही है। सियासत में नया रंग उस समय दिखाई पड़ेगा जब दिग्विजय धार्मिक यात्रा के समाप्त होते ही सियासी यात्रा पर निकलेंगे। उस यात्रा का नाम होगा एकता यात्रा और उसमे उनके साथी बनेंगे प्रदेश कांग्रेस के वे तमाम नेता जो वाकई चाहते हैं कि सूबे में कांग्रेस की सरकार बने।

'नर्मदे हर" का उद्घोष,सिर पर सफेद गमछा,हाथ में बड़ी सी लाठी लिए धूल उड़ाती उबड़-खाबड़ पगडंडियों पर कंटीली झाडियों से बचते बचाते सुबह से शाम तक चलना आसान काम नहीं है,लेकिन दिग्विजय पूरे मनोयोग से इसे अंजाम दे रहे हैं। यात्रा भले गैर राजनीतिक है,पर कांग्रेसियों का हुजूम दिन भर उनके ईर्द गिर्द मंडराता रहता है। पूरे प्रदेश से हर गुट के नेता कार्यकर्ता उनसे मिल रहे हैं। अपनी दि-तों से उन्हें अवगत करा रहे हैं। कोई भाजपा से दुखी है तो कोई अपने जिले के ही किसी कांग्रेसी नेता से।
सिंह कहते हैं 'कांग्रेस ही नहीं भाजपा और संघ के लोग भी इस यात्रा से जुड़ रहे हैं।' अपनी बात की पुष्टि के लिए वे दो युवको को बुलाते हैं और बताते है कि ये दोनांे शिशु मंदिर के आचार्य हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गांव जैत में जब उनकी यात्रा पहुंची तो चौहान के भाई के आग्रह पर वे चाय पीने उनके घर भी गए थे।
भोपाल से लगभग पौने दो सौ किलोमीटर दूर रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील के एक छोटे से गांव चौरास में जब दिग्विजय सिंह से मुलाकात हुई तब वे नर्मदा की परिक्रमा कर रहे एक साधू का नर्मदा की महिमा पर केंद्रित भजन तल्लीनता के साथ सुन रहे थे।
यात्रा में उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही उनकी पत्नी अमृता सिंह अपने कैमरे से उस साधू का भजन रिकार्ड कर रही थीं। भजन खत्म होते ही दिग्विजय ने अपनी जेब से पचास पचास के दो नोट निकाले और साधू के हाथ में थमा दिए। वे बताते हैं '' कल रात हमने दो हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली।"" यानी आधी से ज्यादा दूरी वे तय कर चुके हैं। अब लगभग 1400 किलोमीटर की यात्रा बाकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी तो नर्मदा सेवा यात्रा पर निकले थे।
इस सवाल पर अपने चेहरे पर मंद मुस्कान बिखेरते हुए दिग्विजय ने प्रतिप्रश्न किया 'वो क्या धार्मिक यात्रा थी?" परिक्रमा कभी हवाई जहाज से होती है क्या? नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से 30 सितंबर को शुरू हुई यात्रा होली के बाद अमरकंटक में खत्म होगी। इस दौरान सिंह लगभग 120 विधानसभा सीटों को छू चुके होंगे।
इनमे से ज्यादातर सीटें पिछले लंबे समय से भाजपा के कब्जे में रही हैं। धार्मिक पुण्य अपनी जगह है,लेकिन इस यात्रा से सिंह के पास मुद्दों की भरमार हो गयी है। ऐसी बारीक बारीक चीजे उनके ध्यान में लायी जा रही हैं जो चुनाव के समय कांग्रेस के लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं।
सिंह कहते हैं कई लोग मिल रहे हैं। जिनकी बडी जायज समस्या है। किसान दुखी है। नर्मदा नदी की दुर्दशा हो चुकी है। बांध बनने की वजह से नर्मदा नदी के मूल चरित्र में बदलाव आया है। गुजरात में जहां नर्मदा अरब सागर में मिलती है वहां से 80 किलोमीटर तक नर्मदा नदी में समुद्र का पानी प्रवेश कर चुका है।
यदि अभी भी बहाव बना रहे तो स्थिति में सुधार आ सकता हैं साथ चल रहे कांग्रेस के बुजुर्ग नेता रामेश्चर नीखरा कहते हैं नर्मदा की हालत देख कर वाकई में दुख होता है। इस यात्रा के तत्काल बाद सिंह एकता यात्रा पर निकलेंगे। वे कहते हैं 'एकता यात्रा में वे सारे नेता जो चुनाव लड़ना नहीं चाहते वे प्रदेश का दौरा कर पार्टी में बिखराव रोकेंगे।" यह यात्रा जब खत्म होगी तब तक प्रदेश में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी होगी।
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